दुनिया आज एक ऐसी स्थिति में खड़ी है, जहां तीसरे विश्वयुद्ध की संभावना पर चिंतन तेजी से बढ़ रहा है। 21वीं सदी के पहले दो दशकों में हम कई वैश्विक चुनौतियों और संघर्षों के साक्षी बने हैं, जिन्होंने न केवल देशों के बीच तनाव बढ़ाया है बल्कि दुनिया को एक बड़े युद्ध की ओर धकेलने की आशंका भी उत्पन्न की है। आइए जानते हैं कि क्यों दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के दरवाजे पर खड़ी हो सकती है और इसके प्रमुख कारण क्या हैं।
- भूराजनीतिक तनाव और वैश्विक अस्थिरता
ए. यूक्रेन-रूस युद्ध और पश्चिमी देशों का हस्तक्षेप
2022 में शुरू हुआ यूक्रेन और रूस के बीच का संघर्ष एक बड़े युद्ध का प्रमुख कारण हो सकता है। रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया, तो नाटो और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की मदद के लिए आगे बढ़कर हथियार और संसाधन दिए। यह युद्ध न केवल यूरोप में बल्कि पूरे विश्व में तनाव का केंद्र बन गया है। पश्चिम और रूस के बीच बढ़ते तनाव से इस बात की संभावना बढ़ गई है कि यह संघर्ष अन्य देशों को भी अपनी चपेट में ले सकता है और एक वैश्विक युद्ध की शुरुआत कर सकता है।
बी. चीन-ताइवान तनाव और प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते सैन्य संघर्ष
चीन और ताइवान के बीच दशकों से चल रहा तनाव भी एक संभावित युद्ध का केंद्र है। चीन ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है और अगर वह ताइवान पर कब्जा करने का प्रयास करता है, तो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है। प्रशांत महासागर में चीन का सैन्य विस्तार और उसके द्वारा विवादित क्षेत्रों पर दावा करना भी वैश्विक स्तर पर एक बड़ा संघर्ष उत्पन्न कर सकता है।
सी. पश्चिम एशिया और ईरान-इजराइल संघर्ष
पश्चिम एशिया में लंबे समय से चल रहे ईरान और इजराइल के बीच का तनाव भी तीसरे विश्वयुद्ध की चिंगारी बन सकता है। परमाणु हथियारों की दौड़ और इस क्षेत्र में स्थिरता की कमी ने पूरे मध्य पूर्व को संघर्ष के कगार पर ला खड़ा किया है। अगर यहां संघर्ष बढ़ता है, तो दुनिया की बड़ी शक्तियाँ इसमें शामिल हो सकती हैं और यह एक बड़े युद्ध का रूप ले सकता है।
- परमाणु हथियारों का खतरा
आज के युग में युद्ध की सबसे भयावह बात यह है कि कई देशों के पास परमाणु हथियार हैं। अमेरिका, रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजराइल जैसे देशों के पास परमाणु हथियार होने से युद्ध की स्थिति में यह भय रहता है कि कहीं इसका प्रयोग न हो जाए। खासकर रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव, और उत्तर कोरिया के उकसाने वाले परमाणु परीक्षणों ने दुनिया को और भी अधिक असुरक्षित बना दिया है। अगर तीसरे विश्वयुद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है, तो यह मानवता के लिए एक विनाशकारी संकट होगा।
- साइबर युद्ध और तकनीकी प्रतिस्पर्धा
आज के युग में युद्ध केवल सीमाओं पर लड़ाई तक सीमित नहीं है। तकनीकी युग में साइबर युद्ध एक नया मोर्चा बन चुका है, जहां देशों की सरकारें, बैंकिंग सिस्टम, सैन्य ऑपरेशंस और संचार नेटवर्क साइबर हमलों के शिकार हो रहे हैं। चीन, रूस, अमेरिका और अन्य देशों के बीच बढ़ती साइबर जासूसी और हमलों ने इस बात की आशंका बढ़ाई है कि भविष्य में एक बड़े साइबर युद्ध के साथ वैश्विक युद्ध छिड़ सकता है। इसके साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य उन्नत तकनीकों का सैन्य क्षेत्र में प्रयोग भी संघर्ष को और जटिल बना सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय संगठन और उनकी गिरती शक्ति
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका युद्धों को रोकने और शांति बनाए रखने में होती है, लेकिन आज उनकी प्रभावशीलता कम हो गई है। शक्तिशाली देश संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को नजरअंदाज कर रहे हैं, और कई देशों ने इसके तहत बनाए गए कानूनों और नियमों का पालन नहीं किया है। ऐसे में, अगर वैश्विक स्तर पर कोई बड़ा संघर्ष शुरू होता है, तो इन संगठनों की शांति स्थापित करने की क्षमता पर संदेह उठना स्वाभाविक है।
- आर्थिक प्रतिस्पर्धा और व्यापार युद्ध
वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ती अस्थिरता, व्यापारिक विवाद, और आर्थिक प्रतिस्पर्धा भी तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बन सकती है। अमेरिका और चीन के बीच का व्यापार युद्ध, रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं ने विश्व अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है। अगर आर्थिक तनाव और बढ़ता है, तो यह सैन्य संघर्ष का कारण बन सकता है, जैसा कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में देखा गया था।
- आतंकवाद और गैर-राज्यीय संगठन
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद भी एक बड़ी चिंता का विषय है। आईएसआईएस, अल-कायदा, और अन्य आतंकवादी संगठनों ने पूरी दुनिया में अस्थिरता पैदा कर दी है। ऐसे संगठनों के कारण अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में इजाफा हुआ है और कई देशों को सैन्य हस्तक्षेप करना पड़ा है। अगर इन संगठनों की गतिविधियाँ बढ़ती हैं, तो यह एक वैश्विक संघर्ष को जन्म दे सकती हैं, जिसमें कई देश शामिल हो सकते हैं।
- जलवायु परिवर्तन और संसाधनों पर संघर्ष
जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी भी तीसरे विश्वयुद्ध की संभावनाओं को बढ़ा रही है। पानी, तेल, और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों की कमी ने कई देशों के बीच तनाव पैदा किया है। जैसे-जैसे जलवायु संकट गहराता जाएगा, वैसे-वैसे देशों के बीच संसाधनों की लड़ाई भी बढ़ेगी, जिससे युद्ध की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
निष्कर्ष: क्या तीसरे विश्वयुद्ध को टाला जा सकता है?
तीसरे विश्वयुद्ध की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन इसे टालने के प्रयास किए जा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, शांति प्रयासों, और देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देकर विश्व युद्ध जैसी भयावह स्थिति से बचा जा सकता है। हालांकि, आज की वैश्विक चुनौतियों और बढ़ते तनावों को देखते हुए, यह कहना मुश्किल है कि दुनिया वास्तव में युद्ध के कगार पर है या फिर कोई नया रास्ता निकालने में सक्षम होगी।
